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१- जब बाबा रामदेव भ्रष्टाचार की बात करते है तो क्यों भ्रष्टाचारियों को बचा रहे है? क्यों आज तक उन्होंने उस भ्रष्टाचारी का नाम नहीं बताया जिसने उनसे रिश्वत की पेशकश की थी?
२- बाबा राम देव को २ साल बाद ये खुलासा करने की क्यों आवश्यकता पडी कि उनसे किसी ने रिश्वत की मांग की थी?
३-बाबा राम देव जी हमेशा सत्य, निर्भीक, स्वाभिमान की शिक्षा अपने भक्तों को देते है और भ्रष्टाचारियों के नाम स्वयं अपने में छिपा रहे है, इससे वो क्या सन्देश अपने अनुयायियों को देना चाहते है?
४- बाबा रामदेव हमेशा समता की बात करते है तो क्यों उन्होंने अपने पतंजलि योगपीठ में सदस्यता ग्रहण करने के लिए लोगों को पूँजी के हिसाब से श्रेणियों में विभाजित किया गया है?
५- क्या एक गरीब तबका बाबा रामदेव के योग और उनकी चिकित्सा प्रणाली का केवल इसलिए लाभी नहीं ले सकता कि पतंजलि योगपीठ की सदस्यता लेने के लिए उसके पास १००० रुपया जमा करने के लिए नहीं है.
६- चलो छोडो बात सदस्यता शुल्क की. अगर कोइ गरीब तबका पत्र -पत्रिकाओं और सी डी-डी वी डी के माध्यम से उनके योग और आयुर्वेद का लाभ उठाना चाहता है, तो क्यों इन वस्तुओं के मूल्य ऐसे नहीं रखे गए है कि कोइ सामान्य वर्ग का ब्यक्ति भी इन वस्तुओं को खरीद सके और स्वस्थ्य लाभ प्राप्त कर सके?.
७- बाबा रामदेव आरोग्य भारत की कल्पना करते है, तो क्यों बाबा रामदेव हमारे देश के उन दूरस्थ इलाकों में अपने योग शिविर लगाने नहीं जाते है, जहाँ कि आज भी न तो कोइ यातायात के साधन है और न ही कोइ चिकित्सालय, जिनको कि वास्तव में योग शिक्षा की बहुत जरूरत है. अगर कहीं अस्पताल भी है तो रोग के इलाज के लिए पैसे नहीं है.
८-क्यों आज भी बाबा रामदेव की पतंजलि क्लिनिक या पतानाजली औषधालय केवल शहरों तक ही सीमित है, गावों और पिछड़े क्षेत्रों तक बाबा रामदेव के औषधालय आजतक क्यों नहीं पहुच पाए है?
ऐसे कही और प्रश्न है जो मेरे मस्तिष्क में कोंध रहे है और एक भक्त के नाते ये मेरा हक़ बनता है कि बाबा रामदेव इन प्रश्नों का जवाब दें . मैंने पहले भी कहा है कि आज बाबा रामदेव केवल एक सामजिक कार्यकर्त्ता या योग गुरु ही नहीं रह गए है, बल्कि आज वो लाखों लोगों के आदर्श बन गए है और लाखों लोग उनकी मनुष्य के रूप में देवताओं जैसी स्तुति और मान सम्मान करते है. जो उनकी कथनी है वो उनकी करनी भी होनी चाहिए, केवल भाषण देने मात्र से ही भ्रष्टाचार और विदेशों में काला धन वापिस नहीं आएगा. पतंजलि योग पीठ को स्थापित करने में जनता ने जो आर्थिक योगदान दिया चाहे वो एक विशिष्ट संपन्न वर्ग से ही उनको मिला हो, लेकिन उसका उद्देश्य सर्व जन हिताय हेतु था, न कि किसी वर्ग विशेष के लाभ के लिए.
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