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सोये रहो जनता सोये रहो, नहीं तो कांग्रेस आपको फंसा देगी?

निष्पक्ष
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जब से भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे ने जोर पकड़ा, कांग्रेस सरकार और तमाम कांग्रेसियों का चाल चरित्र बदल गया. एक अजीब सा डर और असुरक्षा का भाव हर कांग्रेसी नेता के चेहरे पर दिखाई दे रहा है. इसके  पीछे क्या कारण हो सकता है, ये तो कांग्रेसी ही जाने पर, यदि पिछले कुछ दिनों के राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर नजर डालें तो एक सवाल जरूर खड़ा हो जाता है कि क्या वास्तव में कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है?

सरकार पिछले कई सालों से टी वी चैनलों और समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रसारित और प्रचारित करती आ रही है “जागो ग्राहक जागो”, पता नहीं सरकार के इस सरकारी विज्ञापन से कितने ग्राहकों में जागरूकता पैदा हुई होगी, ये तो सरकारी रिसर्च का विषय है पर एक ऐसा शख्स (अन्ना हजारे) जरूर सामने आया जिसने देश के करोड़ों सोये हुए लोगों को जगाया और उनमे अपने अधिकारों के प्रति एक नयी जागरूकता पैदा की, जो हम सबने देखा और साथ ही साथ में सरकार ने, सरकार  के लिए एक मुसीबत खड़ी हो गयी.

इस जागरूकता ने कांग्रेस सरकार की नींद हराम कर दी है. अब कांग्रेस सरकार कह रही है सो जा जनता सो जा, नहीं तो हम “तुम्हें” फंसा देंगे, सी बी आई आपके पीछे लगा देंगे और हो सके तो जेल में भी डाल देंगे. हमारे विरुद्ध जो बोलेगा, उसकी हम खटिया खड़ी कर देंगे, मिटिया पलेत कर देंगे, इज्जत का तार तार कर देंगे…..आदि.

कुछ उदहारण हैं जिनसे स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस सरकार कैसे जनता को डराने धमकाने का प्रयास कर रही है और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न बनने के लिए, जनता के बीच में एक भय का वातावरण पैदा कर रही है. ज्यादा भूत में जाने की जरूरत नहीं है, हाल ही में ऐसे बहुत उदहारण है:

१- रामदेव की रामलीला वाटिका का नाश- रामदेव बाबा ने जब कालेधन पर सरकार को घेरा तो सरकार ने बाबा रामदेव को कुचलने की साजिश रच डाली. रामलीला का रावण तांडव साड़ी दुनिया ने देखा. इतने पर भी कांग्रेस सरकार का मन नहीं भरा. प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी. वर्षों से सोयी हुई सरकार अचानक जाग गयी. गाली-गलोज की राजनीती से होकर सरकार को याद आया कि बाबा रामदेव नंबर १ का काम करते हैं और उनकी सम्पती की जाँच होनी चाहिए, तो फिर क्या था,लगा दी अपनी कांग्रेस इन्वेस्टीगेसन ब्यूरो (सी बी आई) फ़ौज बाबा रामदेव के पीछे. आगे क्या क्या हुआ, ये सब सामने आ रहा है.

२. सिविल सोसायटी ने जैसे ही आन्दोलन करने की घोषणा की तो सिविल सोसायटी के सदस्य श्री शांति भूषण और प्रशांत भूषण की सी  डी अचानक मीडिया में आ जाती है. उन पर आरोप लगाया जाता है ये ये अपने आप भ्रष्ट हैं और कैसे भ्रष्टाचार रोकने की वकालत कर सकते हैं?

३- यहीं तक कांग्रेस का दिल नहीं भरा. एक नए नवेले सांसद महोदय मीडिया के सामने एक लम्बा चौड़ा चिठा लेकर आते हैं और अन्ना हजारे को ही सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी बना देते हैं, बात अलग है कि बाद में ही उनसे माफ़ी मांग लेते हैं.

४- जब इससे भी दिल नहीं भरा तो “विशेषाधिकार हनन” के कानून को हथियार बनाते हैं और ये सन्देश देते हैं कि हमारे खिलाप कोई आवाज उठाने की चेष्टा न करें नहीं तो……

५- दिलों में भड़की हुई ज्वाला इससे भी कहाँ शांत होने वाली थी, लगातार नए नए खुरापाती औजार ईजाद करने वाली सरकार ने एक नया औजार ढून्ढ ही निकाला और वो था इनकम टैक्स का. दे दना दन नोटिस सिविल सोसायटी के सदस्यों को. भले ही इसका प्रत्युत्तर उन्हने क्या मिला हो, ये अलग बात है.

इस तरह के तमाम हथकंडे अपनाते हुए सरकार ने हर “वो” किया जो नहीं किया जाना था “सिविल सोसायटी” को बदनाम करने के लिए. कांग्रेस का तो ये इतिहास रहा है. केवल सिविल सोसायटी ही नहीं, अगर उनके किसी अपने बन्दे ने भी पार्टी को छोड़कर उनके खिलाप राजनीतिक बगावत की कांग्रेसियों और कांग्रेस की केंद्र सरकार ने उनको भी नहीं भक्षा. ताजा उदहारण आँध्रप्रदेश में जग मोहन रेड्डी का देख सकते हैं. जब तक कांग्रेस में थे तब तो बेदाग और ईमानदार थे और जैसे ही कांग्रेस छोड़ी भ्रष्टाचारी बन गए और लगा दी सी बी आई पीछे.

इस प्रकार के चाल चरित्र से तो यही सन्देश जनता के बीच में जाता है कि – “सो जाओ जनता सो जाओ, नहीं तो कांग्रेस आपको फंसा देगी, जेल में डाल देगी”. मूक प्राणी बनकर केवल देखते रहो.

धन्यावाद

सुभाष कांडपाल

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