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दिग्विजय सिंह जी से ३ प्रश्न

निष्पक्ष
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जब भी दिग्विजय सिंह जी के मुख मंडल से दिक् दिक् बाण शब्द छूटते हैं तो बिना आर एस एस का नाम लिए उनके कोई भी दिक् दिक् वक्तब्य पूर्ण नहीं होते हैं. सवाल ये उठता है की आखिर दिग्विजय सिंह जी को हर उस चीज में आर एस एस का अक्स क्यों नजर आता है जो या तो कांग्रेस के विरोध में हो या देश के किसी कोने में आतंकवादी घटना घटित हुई हो. शुरुआत हाल ही के दिनों में संपन्न हुए अन्ना हजारे के आन्दोलन को लेकर चलें. जब भी दिग्विजय सिंह जी ने अन्ना हजारे के आन्दोलन के बारे में टिपण्णी की तब तब उन्होंने आर एस एस को इस पूरे आन्दोलन का प्रायोजक बताया और पूरी अन्ना टीम को आर एस एस की कठपुतली.

सवाल यहीं पर ख़त्म नहीं होता, दिग्विजय सिंह जी ने तो उन लाखों युवाओं, बुजुर्गों और बच्चों की मंशाओं पर भी ऊँगली उठायी है जो अन्ना के आन्दोलन हिस्सा का बने, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाप अपनी आवाज बुलंद की और जन लोकपाल बिल के समर्थन में सड़कों पर उतरकर अपना विरोध प्रदर्शित किया. दिग्विजय सिंह जी के बयानों से सिर्फ यही लगता है कि आज भी हम जैसी जनता में कोई सोच समझने की शक्ति नहीं है, हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा है, इसका निर्णय हम नहीं कर सकते बल्कि दिग्विजय सिंह जी जैसे नेता लोग ही आज भी हमारे भाग्य विधाता हैं. खैर जनता जाए भाड़ में, इससे दिग्विजय सिंह जी को क्या लेना देना है .

सवाल ये उठता है कि क्या दिग्विजय सिंह जी के आर एस एस से कोई निजी दुश्मनी है या बात कोई और है, ये तो दिग्विजय सिंह जी ही बता सकते हैं लेकिन तीन मुख्या प्रश्न मेरे मन मस्तिष्क में उठ रहे हैं जो मैं दिग्विजय सिंह जी से जरूर पूछना चाहूँगा?

१- अगर अन्ना आर एस एस के मुखोटा हैं तो दिग्विजय सिंह किसके मुखोटा हैं?
२- अगर अन्ना हजारे को मिस गाईड किया जा रहा है तो दिग्विजय को कौन गाईड कर रहा है?
३- अगर अन्ना को राष्ट्रपति बनने का लालच दिया जा रहा है तो दिग्विजय सिंह को बोलने की क्या कीमत अदा की जा रही है?

अगर दिग्विजय सिंह जी कहीं से मेरे इन शब्दों को पढ़ रहे हैं तो मेरा आपसे निवेदन हैं कि कृपया इन प्रश्नों का उत्तर जरूर दें.

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