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तो क्या चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान आदि क्रन्तिकारी भी भ्रष्ट थे?

निष्पक्ष
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किरण बेदी के ईमानदारी पर उठाने वाले ये वही राजनेता, मंत्री और विधायक है जो अपने संसदीय क्षेत्र और विधायक क्षेत्र के भ्रमण का पैसा भी डकार जाते हैं, भले ही वो अपने संसदीय/विधायक क्षेत्र में भ्रमण न करें लेकिन उसका कनवेंस, पेट्रोल, गाडी आदि का फर्जी बिल लगाकर अपने लिए डकार जाते हैं. सवाल उचित, अनुचित, नैतिक या अनैतिक का नहीं है, सवाल है मकसद का. अगर किरण बेदी ने इस प्रकार से धन जुटा कर किसी सामाजिक कार्य में उसका उपयोग किया है तो इसमें बुराई ही क्या है. क्या ऐसा करने से उनका आचरण भ्रष्ट हो गया?. अगर ऐसा है तो मैं सबसे पहले उन क्रांतिकारियों को भ्रष्ट कहूँगा जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के सरकारी खजाने को लूटा था. क्योंकि नैतिकता के हिसाब से उनका ये तरीका भी गलत था. क्या उनके बलिदान केवल यह कहकर नकार दिया जाय कि उनका तरीका गलत था? क्या उनके बलिदान का आज स्वतंत्र भारत जे लिए कोई महत्व नहीं रह गया है?

चंद्रशेखर आजाद अशफाक उल्ला खान ,रोशन सिंह ,राजेंद्र लिहिरी ,चंद्रशेखर आजाद ,मुकुन्दी लाल आदि जैसे महान क्रांतिकारी और देश भक्तों ने भी धन की कमी के कारण अपने आन्दोलन को आगे बढाने के लिए अंग्रेजी साम्राज्य के खजाने को लूटने की योजना बनायी थी और जिसको उन्होंने ९ अगस्त १९२५ को अंजाम भी दिया था. अगर हम नैतिकता की बात करें तो रास्ता तो वो भी गलत था लेकिन उनका मकसद पाक साफ़ था.

असलियत में मुद्दा कौन कितना पाक साफ़ है, ये नहीं है, मुद्दा है भ्रष्टाचार का और हमारी भ्रष्ट सरकार ये नहीं चाहती है कि भ्रष्टाचार के लिए कोई ठोस कदम उठायें जाएँ, अगर भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होता है तो सबसे बड़ा खतरा हमारे राजनेताओं और वर्तमान सरकार में पदासीन मंत्रियों की रोजी रोटी का होगा जिनकी राजनीती भ्रष्टाचार से शुरू होती है और जिसका अंत अनंत है.

हमारी युवा पीड़ी और आम जनता को सतर्क रहने की जरूरत है और भ्रष्टाचार विरोधी इस मुहिम में कदम कदम पर अन्ना टीम को अपना सहयोग देते रहना है.

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