निष्पक्ष
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स्वर्ग से भी सुन्दर
अम्बर से बड़ा
यदि होता
अपना आँगन?
निर्मल निरंजन
शुद्ध सुगन्धित
महका होता
अपना उपवन
निर्दोष निरभिमान
पुष्प पुलकित
मलयज पलवित
खिलता गुलशन
निर्धन निमर्म रोग विहीन
निर्भय निघूर्ण निर्लोभ क्षुधाहीन
निश्चल निलय बनाता हर जन
कितना सुन्दर होता ये जीवन
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