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जहाँ एक ऒर केजरीवाल जी स्वस्थ और भ्रस्टाचार मुक्त राजनीति की बात कर रहे हैं वहीं दूसरी ऒर वो मत मतदाताओं को स्वयं ही भ्रष्टाचार करने की ओर प्रेरित कर रहे हैं….. वो अपनी चुनावी रैलियों में खुले आम मत दाताओं से अपील कर रहे हैं कि जो भी पार्टी आपको वोट देने के लिए पैसे देती है….. उसको ले लो लेकिन वोट केवल “आप” को दो ….अरविन्द केजरीवाल जी के सोचनानुसार …प्रश्न यह नही है कि जिस पार्टी से आपने पैसा लिया उस पार्टी को वोट दिया या नही…. प्रश्न यह है कि क्या एक राजनेता जो अपने आप को दुनिया का सबसे ईमानदार ब्यक्ति (और अब राजनेता) मानता है, जो राजनीति और देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहता है ….वही अपनी राजनीति चमकाने के लिए अपने वोटरों को गलत रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है, उकसाता है और कहता है कि दूसरे राजनीतिक पार्टियों से वोट के पैंसे माँगो….क्या यह एक प्रकार से भ्रष्ट राजनीति का संकेत नही है? …..क्या “आप” को वोट देने से वो व्यक्ति ईमानदार कहलायेगा जिसने दूसरे पार्टियों से वोट देने के लिए पैंसा लिया था?….क्या “आप” के सत्ता में आने से और “आप” की गंगा के साथ उसके सारे पाप धुल जाएंगे….???….. जिस चुनाव की बुनियाद अरविन्द केजरीवाल जी भ्रष्टाचार की ईंट से रख रहे हैं…. उसकी ईमारत कैसी होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है…..अगर आप मानते हैं कि आप देश को बदलने के लिए राजनीति के दंगल में कूदें हैं तो कम से कम अपनी वाणी पर संयम रखना भी आपकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है और मतदाताओं को भी किसी गलत रास्ते पर चलने के बजाय आपके भाषणों के माध्यम से यह सन्देश जाना चाहिए था कि चाहे स्थिति-परिस्थिति कैसी भी रहे लेकिन हमें अपनी ईमानदारिता को कायम रखना चाहिए, अपने जमीर को नही बेचना चाहिए।
कुछ तथाकथित विद्वान और समाज चिंतक अगर केजरीवाल जी की इस राजनीति को सही ठहराते हैं तो ….उदहारण के लिए कल यदि कोई चोरी करे तो हमें उसको डांटने या पुलिस को खबर करने के बजाय उसका उत्साहवर्धन करना चाहिए और साथ में शाबासी भी देनी चाहिए …. और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए कि देखो अमुक चोरी कर रहा है….आप भी चोरी करो ….बड़ा ही नेक काम है ….आखिर में आपको भी तो अपने परिवार को पालन-पोषण करना है…….क्या ये कदम सही होगा?
अंत में कहना चाहूंगा कि बात वोट देने या न देने की नही है…… बात एक नेता की वाणी की है जो स्वयं भ्रष्टाचार को मिटाने की बात करता है और इसी के लिए चुनाव लड़ रहा हो… और वही खुले आम चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियाँ उडाता है…… अगर आप सार्वजनिक जीवन में हैं तो आपको अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भी अहसास होना चाहिए..और .एक बात और .. केजरीवाल जी जैसे न्यू-कमर युवा राजनेताओं से कहना चाहता हूँ कि आप मतदाता और आम आदमी को इतना भी मूर्ख मत समझो जितनी आपने गलतफहमियां पाली हुई हैं .. यदि आप सच्चे रूप में और निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने आचरण को सुधारो दूसरों का सम्मान करना सीखो और अपनी .कथनी करनी पर दिल की गहराई से मनन करो. हकीकत स्वयं ही आपके सम्मुख आ जाएगी
धन्यवाद
सुभाष कांडपाल
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